Saturday, 20 January 2018

Types Of Yug How you see? According to Human Nature

Types Of Yug How you see? According to Human Nature

types of yug

अपने स्पीशीज को बचाना।
अपने स्पीशीज में ही एक दूसरे से लड़ाई। लेकिन परिवार में एकजुटता होना।
इसके बाद के युग में अपने ही परिवार में लड़ाई।
और इस कलयुग में खुद से ही लड़ाई। 

आज के समय यदि आप सभी धर्म ग्रंथो को देखे तो हिंदूइशिम के ग्रंथो को छोड़ सभी ग्रन्थ एक विचार हैं, जिस भी किसी को वो पसंद आये वो उसे अपना सकता हैं। यदि आप हिंदूइशिम के ग्रंथो को देखे जैसे गीता, रामायण, या इसमें व्याख्यान किए गए युग के प्रकार तो आप पाएंगे की ये ह्यूमन स्पीशीज के आचार-विचार के ऊपर लिखी हुई हैं।  उदाहरण स्वरुप, यदि आप त्रेता युग को देखे तो यहाँ आप राम और रावण के बिच हुए युद्ध की घटना का विवरण हैं। द्वापर युग में भाई भाई के बिच हुए लड़ाई का विवरण हैं। यहाँ आपको किसी भी धर्म का उल्लेख नहीं मिलेगा। और इसमें किए गए धर्म, अधर्म का उल्लेख का मतलब अच्छे और बुरे से हैं।

और अब हम कलयुग में हैं, जिसका साफ़ अर्थ यही हैं की अब हमारी लड़ाई खुद से हो रही हैं की हम अच्छे और बुरे को किसप्रकार देख रहे हैं- खुद आइने के सामने खड़े होकर या दुसरो के दिए काल्पनिक आईने से। 





And now we are in Kalyug, which has a clear meaning that now our battle is going on by ourselves, how are we seeing good and bad - standing in front of a mirror itself or by a fantasy mirror of others?

Tuesday, 11 October 2016

"The Life" is not "India & Pakistan". जिंदगी इण्डिया और पाकिस्तान नही हैं



"जिंदगी" एक आसान सा शब्द; जो कहना तो आसान है पर समझना थोड़ा मुश्किल। जिंदगी इण्डिया  और  पाकिस्तान थोड़े  ही न  हैं, जिससे जिंदगी की गाड़ी चल जाये। 

इसका ना तो कोई धर्म है और ना ही कोई अरमान है, ये तो भाई, दो वक्त की रोटी का मोहताज हैं. बस फिर क्या, इस दो रोटी के लिये. . , सारी ये ताम झाम हैं। ये क्या, पर आप इसे शायरी न समझ बैठियेगा।

हमे ये जरूर सोचना होगा और ये सोचने की बात भी है, कुछ जिंदगियां दूसरी जिंदगियों की जान बचा रही है तो कुछ जान लेने पर तुली हुई हैं। ये कैसी जिंदगी हैं जो दो वक्त की रोटी के लिये दुसरो की जाने ले रही हैं। शेर अगर नरभक्षी हो जाये तो वह किसी धर्म, जात को देख कर नहीं मारता और ना ही कोई पंडित, और मौलवी उसे बचाने के लिए खड़े नजर आते है, क्योकि वो एक जानवर है और भाई, वो पागल भी तो हो गया है, ये ख्याल बिलकुल ही नहीं आता की पिजंरे में १० दिन बंद करके एकबार देखना चाहिये, तो हो सकता है की वो सही हो जाए। जनकल्याण के लिये उसे मारना जरुरी हो जाता हैं।  ये सही भी है, कही इसतरह के एक्सपेरिमेंट करने के चक्कर में कई ओर जाने भी न चली जाये।  ये तो एक प्राकृतिक उदाहरण है। इसका मतलब कुछ मेन मेड भी उदाहरण है, जो मानव जिंदगियो को नरभक्षी बनने पर मजबूर कर देते है।  आप समझदार है , समझ गए होंगे। 

जिंदगी का भी एक वसुल है, की वह अपनी साख बचाने के लिये कोई भी कदम उठाने के लिये मजबूर हो जाता है, क्योकि उसे बस चलना और अंतिम घड़ी तक बस चलना ही आता हैं। भूख लगने पर सांप भी अपने बच्चो को खा जाता है.  आतंकवाद का भी यही रूप है जो अपनी ही जिंदगियो को खाने पर तुला हुआ है। यह नरभक्षी के सामान हो गया है, जहाँ हमे इंडिया, पाकिस्तान, हिन्दू और मुस्लिम से ऊपर जनकल्याण के उद्देस्य से इनका खात्मा  करना जरुरी हो गया है। अगर हम इसमें कामयाब हो जाते है, तो फिर क्या इंडिया और पाकिस्तान।, सभी जगह अमन के फूल खिलेंगे और इन्हें कोई टैंक रौंद भी नहीं पायेगा। 

Saturday, 25 June 2016

Bikta Hain To Bus Tera Tan | बिकता हैं तो बस, तेरा तन

बिकता हैं तो बस, तेरा तन यहाँ !


अभिमान में, सम्मान में,

विलय की हर एक तान में,

अश्रु की बहती धार में,

उफनती हर एक आग में,

बिकता हैं तो बस, तेरा तन यहाँ।